गणतंत्र दिवस: एक स्वर्णिम दिवस

          " बलिदानों का सपना जब सच हुआ, 
ये देश तब स्वतंत्र हुआ। 
आओ सलाम करे उन वीर शहीदों को, 
जिनकी शहादत से ये भारत गणतंत्र हुआ। ।"

26 जनवरी ,भारतीय इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों से लिखी गई तारीख है। भारत वर्ष में पर्व की भाँति मनाया जाने वाला ये वो दिन है जब 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान सभा द्वारा भारतीयों के हाथों में एक ऐसी किताब थमा दी गयी जिसमें सालों से चले  आ रहे बेड़ियों, परतंत्रता, बंधनों से मिलने वाली पूर्ण स्वतंत्रता से संबंधित उन तमाम सुनहरे शब्दों की स्वर्णिम चमक भारतीयों के आँखों में उतरती प्रतीत हो रही थी ।ये वो दिन है जब स्वतंत्र भारत में पहली बार लोगों को अपने अधिकारों के प्रयोग ,कर्तव्यों के पालन व देश के लिए उनके तथा उनके लिए इस स्वतंत्र, गणतंत्र देश की महत्ता बतायी जा रही थी तथा बड़े बड़े नेताओं के साथ-साथ सभी भारतीय जनता के आँखों में उनके व देश के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीदें संजोये जा रहे थे ।
          गणतंत्र दिवस की महत्ता से तो सभी परिचित है, इसी दिन संविधान विधात बी आर अम्बेडकर तथा उनकी टीम द्वारा निर्मित संविधान को पूरे 2 वर्ष 11 माह 18 दिन के बाद विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों के समक्ष पूर्णत लागू किया गया था ।इसके पूर्व भारत, भारत सरकार अधिनियम 1935 का पालन कर रहा था। 
              इन्हीं स्वतंत्रा सेनानियों के प्रयासों का ही प्रतिफल है कि आज हम अपना 73वां सफल गणतंत्र दिवस इतने उत्साह से मनाने जा रहे। भारत में आतिथ्य सत्कार सर्वथा से ही सद्गुण रहा है  भारत ने तो पुरातन  काल से ही "अतिथि देवो भव:"की परम्परा का पालन किया है। फिर गणतंत्र दिवस पर भारत ने प्रारंभ से ही अन्य देशों के व्यक्ति विशेष को आमंत्रित कर विश्व में शांति व मित्रता की अगुवाई की है, परंतु इस कोरोना महामारी को मद्देनजर किसी अतिथि विशेष को आमंत्रित करना उचित नहीं समझा गया। भारत ने इसी प्रेम सद्भावना को बढ़ावा देने हेतु अपने पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के  राष्ट्रपति सुकर्णो को मुख्य अतिथि के रूप मे आमंत्रित किया था ।इस दिन जब लाल किले पर हमारे तिरंगे को फहराया जाता है तो आसमान में लहराता तिरंगा,  समस्त विश्व को भारत की तरफ से बलिदान, शांति, सद्भावना, प्रेम, एकता, अखंडता, संप्रभुता, धर्मनिरपेक्षता आदि का संदेश देते हुए भारत के शीर्ष को गौरवांवित करता है। 
              रक्षा मंत्रालय द्वारा गणतंत्र दिवस परेड के लिए भारत के सभी राज्यों, उनके संस्कृति, मूल्यों तथा भारत की एकता एवं अक्षुण्ण अखण्डता को दर्शाने वाली विभिन्न झांकियां प्रस्तुत की जाती है। इस समारोह में राष्ट्रीय ध्वज व राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है तथा इस समारोह के दौरान भारतरत्न, पद्मभूषण, कीर्ति चक्र जैसे कई राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाते है व भारत के सभी सैन्य बलों का प्रोत्साहन भी किया जाता है, वायुसेना द्वारा शक्ति प्रदर्शन का भी अत्यंत मनोरम और अनोखा दृश्य देखने को प्राप्त होता है। 
            गणतंत्र दिवस, भारत की आजादी हेतु लड़े उन तमाम भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद व महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों तथा आज़ादी के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु अपने प्राणों को भारत माता के चरणों में पुष्प की भाँति बिछा देने वाले उन सभी वीर शहीद पुत्रों को समर्पित है। इस दिन इन महापुरुषों के योगदान,बलिदानों व शहीदों के शहादत के लिए सम्मान व प्रेम, समस्त भारतीयों के आँखों से मोतियों के रूप में गिरती हुयी दिखती है।
      अतः गणतंत्र दिवस के दिन हम सब अपने शहीदों के लिए हृदय में सम्मान व प्रेम संजोए अपने सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पुर्णतः अनुभव करते हुए  अपने देश व तिरंगे के सम्मान में जनगण मन गाते अपना पूरा दिन व्यतित कर जाते है। इस उपलक्ष्य में कुछ पंक्तियाँ प्रासंगिक हैं- 
        आओ झुक कर सलाम करें उसे, जिसके हिस्से मे, 
ये मुकाम आता है। 
किस कदर खुशनसीब हैं वो लोग...
ख़ून जिनका वतन के काम आता है।।

         आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌼🇮🇳🌼
- अकांक्षा यादव

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