प्रेरणा और कलाम

" एक छात्र का महत्वपूर्ण गुण यह है 
कि वह हमेशा अपने अध्यापक से सवाल पूछे" 
              -डॉक्टर कलाम ।
प्रेरणा वह कला है जिसके द्वारा किसी को कुछ करने की ऊर्जा प्राप्त होती है, प्रेरणा एक आंतरिक कारक है जो किसी व्यक्ति के व्यवहार को एकत्रित करता है। प्रेरणा कुछ और नही बल्कि  व्यक्ति को लक्ष्य की ओर अग्रसरित करने का एक माध्यम है। प्रेरणा को परिभाषित करते हुए Stanley Vince लिखते है- 
           प्रेरणा वह भावना या इच्छा  
           है जिसके द्वारा मनुष्य को
           कार्य करने के लिए प्रेरित 
           किया जाता है ।
प्रेरणा आंतरिक एवम बाह्य दोनो  माध्यमों से प्राप्त की जाती है। जब हम आंतरिक कारकों द्वारा स्वतः प्रेरित होने में असफल ही जाते है , हतोत्साहित हो जाते हैं, ऐसे में हम कुछ महान व्यक्तित्वों से प्रेरणा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। वैसे तो अनेक महान लोगो ने युवाओं का मार्गदर्शन किया है, किंतु प्रेरणा जैसे विषय पर लिखते हुए मेरे सामने डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का चित्र मुख्यतया प्रदर्शित हो जाता है।

15 अक्टूबर 1931, को तमिलनाडु में जन्में डॉक्टर अबुल पाकिर जैनुलाब्दिन की पूरी जीवन यात्रा ही युवाओं और विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा है। वो खुद आर्थिक आर्थिक रूप से गरीब परिवार के थे और अपने परिवार की सहायता के लिए अखबार वितरित किया ,उनकी जीवन यात्रा  यह संदेश  मिलता है कि  यदि हम अपनी लक्ष्य को लेकर दृढ़ संकल्पित है तो आर्थिक बाधा का भी निपटारा किया जा सकता है। प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1954 में सेंट जोसेफ कॉलेज (तिरुचिरापल्ली) से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। 1955 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अंतरिक्ष अभियांत्रिकी के अध्ययन के लिए प्रवेश लिया ।उनका स्वपन एक पायलट बनने का था ,लेकिन भाग्य ने शायद इससे भी बड़ा औदा उनके लिया रखा था। वो कहते है न हर निराशा के पीछे आशा की एक किरण होती है। कुछ ऐसा ही कलाम ने अपने जीवन में अनुभव किया । उन्होंने लिखा है - 
                          "रोज सुबह पांच बाते अपने आप से जरूर कहो मैं सबसे अच्छा हु, मैं कर सकता हु,विधाता मेरे साथ है और आज मेरा दिन है"।

कलाम एक उत्कृष्ट नायक और प्रद्दोगिकविद के रूप में उभरे। 1963-80 तक उनका करियर अंतरिक्ष अनुसंधान में बीता ।
SLV -3 का सफल प्रक्षेपण भी उनके प्रयास का परिणाम था।उसके बाद वे मिसाइल परियोजना के लिए DRDO में काम किए। और 1982 में हैदराबाद में DMRL के निदेशक बन गए। अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल  आदि उनके प्रयासों की ही देन थी इसलिए उन्हे missile man of India की संज्ञा दी गई । इस मुकाम पर आकर भी वे नही रुके । कलाम लिखते हैं- 
           अपनी पहली जीत के बाद 
           आराम मत करो अगर आप
           दूसरी बार असफल हो जाते 
           तो अधिक लोग यह कहने 
           के लिए इंतजार कर रहे हैं
           कि पहली जीत सिर्फ 
           किस्मत थी।

1991-2001 तक उन्होंने मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया, तत्पश्चात एक और सम्मानित पद उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।
2002 में वास्तविक दूरदर्शी और उच्च चरित वाले कलाम ने भारत की बागडोर देश के राष्ट्रपति के रूप में ली। अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्रात करने के पश्चात उन्होंने युवाओं का मार्गदर्शन करना प्रारंभ किया इसीलिए 15 अक्टूबर को World student day के रूप में मनाया जाता है। विभिन्न विद्यालयों संस्थानों(IITs and IIMs) में जाकर युवाओं को सलाह देना प्रारंभ किए।
जैसे ही उनका कार्यक्रम समाप्त होता वो बैरिकेट को पर करके खुशी से उनसे मिलते ,उनसे बाते करते तथा युवा पीढ़ी को जीवन पथ की बाधा का सामना करने की प्रेरणा देते रहे । Wings of fire,Ignited mind ,India2020, journey jaisi अनेक प्रेरणदायी किताबे लिखी ,जो आज तक युवाओं का मार्गदर्शन करते आ रही हैं।।
उन्होंने राष्ट्र के समग्र विकास के विकास स्पष्ट दृष्टि की आवश्यकता पर जोर दिया ,इसी के द्वारा भारत को विश्व शक्ति और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनाया जा सकता है ऐसा उनका मानना था।
वो कहते हैं -
 Where there is beauty in character,there is harmony in the home,
Where there is harmony in the home,there is order in the nation,
Where there is order in the nation ,there is peace in the world.
अपने जीवनकाल में उन्हे अनेक सम्मान तथा पुरस्कार प्राप्त हुए जिनमें पद्मभूषण , पद्मविभूषण तथा सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रमुख है। 
रामेश्वरम से जीवन यात्रा प्रारंभ करके राष्ट्रपति भवन तक को सुशोभित करने वाले हम सब के प्रिय कलाम ने 27 जुलाई 2015 को शिलांग में हृदयाघात से अपने जीवन की अंतिम सांस ली।
प्रेरणा और प्रेरणा स्रोत के बारे में सोचते हुए डॉक्टर कलाम के अतिरिक्त मुझे कुछ और संज्ञान हुआ।
      
     जीवन रहते आपने युवाओं का    
     मार्गदर्शन तो किया ही ,
     स्वर्ग की गति प्राप्त करने के बाद
      भी देश विदेश के विभिन्न युवाओं 
     का पथ प्रदर्शन कर रहे है।
     आप हमेशा जिएंगे हमारे दिलो में 
     कलाम साहेब।। 
-सभ्या श्रीवास्तव

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